Thursday, December 31, 2009

कब याद में तेरा साथ नहीं...



कब याद में तेरा साथ नहीं, कब हाथ में तेरा हाथ नहीं
सद-शुक्र*1 के अपनी रातों में, अब हिज्र*2 की कोई रात नहीं
मैदाने-वफ़ा दरबार नहीं, यां नामो-नसब*3 की पूछ कहाँ
आशिक़ तो किसी का नाम नहीं, कुछ इश्‍क़ किसी की ज़ात नहीं
जिस धज*4 से कोई मक्‍तल*5 में गया, वो शान सलामत रहती है
ये जान तो आनी-जानी है, इस जां की तो कोई बात नहीं
गर बाज़ी इश्‍क़ की बाज़ी है, जो चाहो लगा दो डर कैसा
गर जीत गए तो क्‍या कहना, हारे भी तो बाज़ी मात नहीं
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*1 सौ बार शुक्रिया
*2 विरह
*3 नाम और वंश
*4 ठसक
*5 फाँसी या बलि देने की जगह
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http://radiovani.blogspot.com/2009/08/kab-yaad-me-tera-saath-nahin-sung-by.html
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