Sunday, December 26, 2010

हनुमान-कालनेमी संवाद...

राम-सिया-राम सिया-राम सिया-राम
मैं तो राम ही राम पुकारूँ....

कित्थे आवे कितको जावे
बाबा ने सब बेरा रे
जानो हे बड़ी दूर बटेयू
कर ले रैन-बसेरा रे

तु क्यूँ चिंता करता है
करना है सो राम करे
ऎसी भगवान की मरजी है
तु थोड़ा विश्राम करे
राम-लखन के जीवन में कभी
होगा नहीं अंधेरा रे
जानो हे बड़ी दूर बटेयू
कर ले रैन-बसेरा रे

तुझे भूख-प्यास न लागे
मैं ऎसा मंत्र बता दुँगा
तुझे जिस पर्वत पर जाणा
मैं एक पल में पहुँचा दुँगा
स्नान-ध्यान करके तु आजा
तुझे बना लूँ चेला रे
जानो हे बड़ी दूर बटेयू
कर ले रैन-बसेरा रे

श्री राम जय राम जय-जय राम...

श्री राम जय राम जय-जय राम
शेष न कोई आशा हो जब
चारों ओर निराशा हो जब
तब फ़िर बोलो येही नाम
श्री राम जय राम जय-जय राम

जीते-जी तब सबसे नाता
इसके बाद न कोई निभाता
अंत समय में आता काम
श्री राम जय राम जय-जय राम

सार गुरू उपदेश का है ये
जीवन-धन सौमित्र का है ये
रे-मन बन-जा राम गुलाम
श्री राम जय राम जय-जय राम

तेरे सिर पर सीता-राम...

तेरे सिर पर सीता-राम
फ़िकर फ़िर काहे की
तेरे बिगड़े बनेगें काम
फ़िकर फ़िर काहे की

पितु रघुवर श्री जानकी मैया
फ़िर क्यों परेशान हो भैया
तेरे हरेंगें कष्ट तमाम
फ़िकर फ़िर काहे की

जो जन राम-कथा सत-संगी
उनके सहाय श्री बजरंगी
अतुलित-बल के धाम
फ़िकर फ़िर काहे की

अगर प्रभु मनमानी करेंगें
नहीं सरणागत पीर हरेंगें
होगा विरद बदनाम
फ़िकर फ़िर काहे की

अब सौमित्र न आह भरो तुम
नहीं व्यर्थ परवाह करो तुम
रटो राम का नाम
फ़िकर फ़िर काहे की

कृष्ण जिनका नाम है....

कृष्ण जिनका नाम है
गोकुल जिनका धाम है
ऎसे श्री भगवान को
बारंबार प्रणाम है

यशोदा जिनकी मैया है
नंद जी बापैया है
ऎसे श्री गोपाल को
बारंबार प्रणाम है

लूट-लूट दधि माखन खायो
ग्वाल-बाल संग धेनु चरायो
ऎसे लीला-धाम को
बारंबार प्रणाम है

ध्रुपद सुता की लाज बचायो
गजेन्द्र-गज को फ़ंद छुड़ायो
ऎसे किरपा-धाम को
बारंबार प्रणाम है