Monday, September 14, 2020

राजेश जोशी : ...जो सच-सच बोलेंगे, मारे जाएँगे....

 मारे जाएँगे 


जो इस पागलपन में शामिल नहीं होंगे 
मारे जाएँगे

कठघरे में खड़े कर दिये जाएँगे, जो विरोध में बोलेंगे
जो सच-सच बोलेंगे, मारे जाएँगे

बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा कि किसी की कमीज़ हो
'उनकी' कमीज़ से ज़्यादा सफ़ेद
कमीज़ पर जिनके दाग़ नहीं होंगे, मारे जाएँगे

धकेल दिए जाएंगे कला की दुनिया से बाहर, जो चारण नहीं 
जो गुन नहीं गाएंगे, मारे जाएँगे

धर्म की ध्‍वजा उठाए जो नहीं जाएँगे जुलूस में
गोलियां भून डालेंगी उन्हें, काफ़िर करार दिये जाएँगे

सबसे बड़ा अपराध है इस समय 
निहत्थे और निरपराधी होना
जो अपराधी नहीं होंगे 
            मारे जाएँगे। 

- राजेश जोशी 
   (सितंबर, 1988)

साभार - राजेश जोशी, प्रतिनिधि कविताएँ, राजकमल प्रकाशन