Saturday, May 17, 2025

करि न फकीरी...संतोष आनंद

करना फकीरी फिर क्या दिलगिरी सदा मगन में रहना जी,
कोई दिन हाथी कोई दिन घोडा कोई दिन पैदल चलना जी,

कैसा भी हो वक्त मुसाफिर पल भर न घबराना जी,
कोई दिन लड्डू न कोई दिन पेड़ा कोई दिन फाखम फाका जी,  

कोई  फरक नहीं होता है राजा और भिखारी में
दोनों की सांसे काटी हैं समय की तेज़ कटारी ने
अपनी ही रफ़्तार से हरदम समय का पहिया चलता जी
कोई दिन महला न कोई दिन सेजा कोई दिन खाक बिछाना जी

माँ से अच्छा कुछ नहीं होता माँ तू ही परमेश्वर है
हरदम मेरे मन मंदिर में तेरी  ज्योत उजागर है
सारे रिश्ते नाते झूठे माँ का प्यार ही सच्चा जी
कोई दिन भइया न कोई दिन बहना सब दिन माँ की ममता जी

कुछ भी पाए गर्व न करिओ दुनियां आनी जानी है
तेरे साथ जहाँ से तेरी परछाई भी जानी है
सबको अपना प्यार बाटना मीठा बोल बोलना जी
कोई दिन मेला कोई दिन अकेला कोई दिन ख़तम झमेला जी

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