Saturday, May 10, 2025

ज़िन्दगी की ना टूटे लड़ी....By संतोष आनंद

ज़िन्दगी की ना टूटे लड़ी प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी लम्बी लम्बी उमरिया को छोड़ो प्यार की एक घड़ी है बड़ी

उन आँखों का हँसना भी क्या जिन आँखों में पानी न हो वो जवानी जवानी नहीं जिसकी कोई कहानी न हो आंसू है ख़ुशी की लड़ी

मितवा, तेरे बिना लागे ना रे जियरा, लागे ना

आजसे अपना वादा रहा हम मिलेंगे हर एक मोड़ पर दिल की दुनिया बसाएंगे हम ग़म की दुनिया का दर छोड़ कर जीने मरने की किसको पड़ी

लाख गहरा हो सागर तो क्या प्यार से कुछ भी गहरा नहीं दिल की दीवानी हर मौज पर आसमानों का पहरा नहीं टूट जाएगी हर हथकड़ी


देख ली ख्वाब की हर गली
मेरे दिल को मिला ना सुकूँ
तेरे बिन कैसे जीवन जीया
तू मिले तो तुझी से कहूँ
बेवजह उम्र ढोनी पड़ी

प्यार करले घड़ी दो घड़ी

ओ मितवा, ओ मितवा मितवा रे मितवा लागे ना रे जियरा

No comments: