तेरे सिर पर सीता-राम
फ़िकर फ़िर काहे की
तेरे बिगड़े बनेगें काम
फ़िकर फ़िर काहे की
पितु रघुवर श्री जानकी मैया
फ़िर क्यों परेशान हो भैया
तेरे हरेंगें कष्ट तमाम
फ़िकर फ़िर काहे की
जो जन राम-कथा सत-संगी
उनके सहाय श्री बजरंगी
अतुलित-बल के धाम
फ़िकर फ़िर काहे की
अगर प्रभु मनमानी करेंगें
नहीं सरणागत पीर हरेंगें
होगा विरद बदनाम
फ़िकर फ़िर काहे की
अब सौमित्र न आह भरो तुम
नहीं व्यर्थ परवाह करो तुम
रटो राम का नाम
फ़िकर फ़िर काहे की
Sunday, December 26, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment